Menu
blogid : 12816 postid : 12

देश, बुढ़ापे की ओर

भारत - मेरा देश
भारत - मेरा देश
  • 11 Posts
  • 13 Comments

आज मैं हमारे देश कि, एक सोच के ऊपर लिख रहा हूँ, हो सकता है ये हमारे पुराने और रुढ़िवादी लोगों को पसंद ना आए….

हमारा ये देश भारत जो कि एक बहुत पुरानी सभ्यता है. यहाँ के लोग हमेशा यही याद करके खुश रहते हैं कि “हम बहुत पुरानी सभ्यता हैं, हमारा इतिहास कितना अच्छा था, हमने इतिहास में अमुक अमुक महान काम किये”, पर ऐसा क्यूँ है कि कोई ये मानने को तैयार नहीं है कि आज हम कहाँ हैं!!
हम पुरानी सभ्यता थे, हमने इतिहास में अच्छे और महान कार्य किये, इसका मतलब ये नहीं कि हम अब कोई अच्छा या महान कार्य ही ना करें.
और अगर हम ये सोच कर ही खुश होते रहतें हैं कि हमारा इतिहास महान था, हमने इतिहास मे महान कार्य किये और हम वर्तमान की वास्तविकता को जरा भी स्वीकार नहीं करते हैं तो हमसे बड़ा मूर्ख और कोई नहीं…..मायने ये नहीं रखता कि इतिहास मे हम कहाँ थे या इतिहास मे हमने कौन कौन से महान कार्य किये. मायने ये रखता है कि आज हम कहाँ हैं???

मैंने कई पुरानें लोगों को कहते सुना है कि हम जगत गुरु हैं या थे, हमारा देश सबसे ज्यादा सभ्य था, विदेश को लोग हमारे देश की तरफ देखते थे, और इसलिए हमारा भारत देश महान है!!
कहाँ गयी वो महानता आज? जब इस देश के ही लोग इस देश के अच्छाई के लिए नहीं सोच रहे हैं. हम और हमारा देश पुराना था और पुराना है, और पुराने लोग बूढ़े हो जाते हैं, और ये बात मुझे बताने कि आवश्यकता नहीं है कि एक जवान हमेशा किसी बूढ़े से ज्यादा ताकतवर और बलशाली होता है.
मैं हमेशा ये सोचता हूँ कि जब हम इतने पुरानी सभ्यता थे, हम इतने विकसित थे, फिर कैसे हम अचानक से पिछड़ गये और अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देश जिनका अस्तित्व हमारे बहुत बाद आया हमसे आगे निकल गये…
हम, इस भारत देश के लोग वो लोग हैं जो हमेशा पीछे की तरफ देखना चाहते हैं, हम आज भी बड़े गर्व से यही कहते पाए जाते हैं कि हम इतिहास मे पूरे दुनिया के गुरु थे और हम यहीं तक सोच कर खुश हो जाते हैं, लेकिन अगर हम बस यही करते रहे तो आगे की ओर कौन देखेगा, भविष्य की ओर कौन देखेगा, और जब तक हम वर्तमान को समझ कर भविष्य की ओर नहीं देखेंगे, भविष्य की नहीं सोचेंगे, हमारी प्रगति यूँ ही धीमी रहेगी……

एक बूढा आदमी, जो अपनी सारी जिंदगी जी चुका होता है उसके आगे जब सिर्फ मौत बचा रहता है तब वो अपने घर के किसी बिस्तर पर बैठ कर यही काम करता है, अपने जवानी के पुराने दिनों को याद करता है और लोगों को अपनी कहानी सुनाता है, हमें और हमारे देश को वो बूढ़ा आदमी नहीं बनना है, हमें उस बच्चे की तरह जिज्ञासु रहना है जो हर वक़्त कुछ नया सीखना चाहता है और हमें उस जवान की तरह रहना है जो बलशाली होता है, पर हमें अपने पुराने जड़ों को भी कभी भूलना नहीं चाहिए….

पुरानी बातों से सीख लेकर, हमें इस देश को एक जवान की तरह आगे बढ़ाना होता, और तभी ये देश तरक्की के शिखर पर होगा और एक बार फिर हम जगत गुरु होंगे…….

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh